सामाजिक >> तमाशा तथा अन्य कहानियाँ तमाशा तथा अन्य कहानियाँमंजूर एहतेशाम
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तमाशा तथा अन्य कहानियाँ...
पिछले दो दशकों में सूखा बरगद और दास्ताँ-ए-लापता जैसे श्रेष्ठ उपन्यासों के लिए चर्चित मंजूर एहतेशाम ने एक महत्त्पूर्ण कथाकार के रूप में भी अलग पहचान अर्जित की है ! यह कहना कि उनकी कहानियां मध्यवर्गीय (मुस्लिम) वर्ग के बारे में हैं, उनके कथानक का अति-सरलीकरण होगा ! दरअसल मंजूर एहतेशाम उन थोड़े-से कथाकारों में हैं, जिन्होंने इधर की साहित्यिक बहसों के बुनियादी मुद्दे ही बदल दिए हैं ! प्रस्तुत कहानी-संग्रह तमाशा तथा अन्य कहानियां में शामिल कहानियां, विषयों की नहीं, एक व्यक्ति के होने-न-होने अन्होने की कहानियां हैं ! अक्सर इनके केंद्र में एक संस्कारवान, संवेदनशील व्यक्ति है ! और उसे बनाता-ढहाता एक परिवेश ! कुछ इस तरह कि कभी कांच के हाथ में पत्थर और कभी पत्थर के हाथ में कांच होने का अहसास बराबर बना रहता है ! मध्यवर्गीय अस्तित्व की विडम्बना की ये कहानियां कभी शोर और कभी सन्नाटे से स्वयं को बुनती-उधेड़ती हैं ! यूँ इनका इअथानक बहुत बारीकी से अपना उपकथन, अपना सब-टेक्स्ट बनाता-मिटाता चलता है ! अपने अल्पकथन के बावजूद ये आश्चर्यजनक रूप से मार्मिक कथाएं हैं ! यहाँ प्रस्तुत बहुचर्चित रमजान में मौत से लेकर तमाशा तक ये कहानियां अपनी यात्रा भी हैं, और पड़ाव भी !
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